तालाब हुआ लबालब, मछली पालको के चेहरे में ख़ुशी की झलक

पखांजूर ।

मछली पालको को इस बार अपने तालाबो में जल संग्रहण करने के लिए मशक्कत नही करनी पड़ेगी । बता दे की गर्मी सीजन तालाबो में पानी नही होने के कारण मछली पालको को मछलीें औने पौने दामो में बेचना पड़ा था जिससे उन्हें आर्थिक क्षति पहुची थी लेकिन इस बार मौसम के शुरुवाती दिनों में रिमझिम मूसलाधार बारिश परलकोट क्षेत्र के मछली उत्पादन कर्ताओं के लिए शुभ संकेत लेकर आई है ।उनके सभी तालाब पानी से लबालब भरा हुआ है । मछली बीज विक्रेता की माने तो मूसलाधार बारिश में मछली बीजा तालाबो में छोड़ने का उचित समय होता है । लगातार हो रही बारिश मछली पालको के चेहरे में ख़ुशी ला दी है ।
ज्ञात हो की छत्तीसगढ़ में मछली उत्पादन की अगर बात हो तो परलकोट का नाम अव्वल श्रेणी में लिया जाता है।
मछली उत्पादन कर परलकोट के किसान समृद्ध हो रहे है । परलकोट के किसान मछली उत्पादन के व्यवसाय को लाभ का धंधा मानकर इस व्यवसाय से जुड़कर बड़े स्तर पर मछली उत्पादन कर रहे है । परलकोट के प्रायः सभी 133 गांवों में मछली का उत्पादन बहुतायत से की जाती है । किसान अपने हेचरी में सभी प्रकार की प्रजाति मछलियां जैसे रोहू, पंगास, कतला, रानी पामलेट, तैलापिया, ग्रासकप, इंडोनेशियन, रूपाली चंदा ,देशी मागुर की उत्पादन कर छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में मछलियों का निर्यात किया जाता है । मानसून सत्र के प्रारंभिक महीने जुलाई से ही मछली बीज निर्यात का काम शुरू हो जाती है जो अक्टूबर माह तक चलता है।

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