गृहमंत्री विजय शर्मा ने हाथ जोड़कर नक्सलियों से की अपील – बस्तर की भलाई के लिए छोड़ें हिंसा की राह

-अर्जुन झा-
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वे बस्तर और छत्तीसगढ़ की भलाई के लिए हिंसा की राह छोड़ दें एवं समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। श्री शर्मा ने यह भी कहा कि जिस माओवाद ने दुनिया को कुछ नहीं दिया, वह भला बस्तर को क्या देगा?
उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर के टाउनहॉल सभागार में बस्तर शांति समिति द्वारा लोकतंत्र बनाम माओवाद, थ्येन आनमन की विरासत का बोझ विषय आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि जिस माओवाद ने दुनिया को कुछ नहीं दिया है, वह बस्तर को क्या दे सकता है। उन्होंने फिर एक बार कहा मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि बस्तर की खुशहाली और विकास के लिए माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ जाएं और बातचीत के लिए आगे आएं।

उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर में गन तंत्र नहीं गणतंत्र होना चाहिए। बुलेट नहीं बैलेट पर काम होना चाहिए। बस्तर में सुख, शांति समृद्धि होनी चाहिए। बस्तर के विकास के मार्ग से बम, बारूद, आईईडी हट जाना चाहिए। बस्तर में सभी प्रकार की संपन्नता है। यहां की धरती वन एवं खनिज संपदा से भरपूर है। यहां माओवाद नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि बस्तर के जो लोग उनके साथ फंस गए हैं, वे मुख्यधारा में वापस आ जाएं। विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन सरकार की मजबूरी है। बस्तर के विकास के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए जो भी संभव होगा, किया जाएगा। बस्तर के लोगों के बीमार पड़ने पर उन्हें अस्पताल तक जाने के लिए अच्छी सड़कें हों, बस्तर के बच्चों को कुपोषित नहीं होना चाहिए, स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली, पानी, मोबाइल टॉवर आज की मौलिक आवश्कताएं हैं, ये सबको मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बस्तर में शांति स्थापना और समृद्धि लाने प्रयासरत है, यहां के आदिवासियों की भलाई हमारी प्राथमिकता है। अगर माओवादी हमारे आदिवासी भाइयों के हित की बात करते हैं, तो बस्तर के गांवों में विकास की धारा बहने दें। विजय शर्मा ने कहा कि माओवादियों से चर्चा करने के लिए राज्य सरकार माहौल बना रही है। समाजसेवी संस्थाओं से चर्चा की जा रही है। अब माओवादियों को तय करना है कि वे क्या चाहते हैं? अगर वे चाहते हैं कि स्कूल न बने, अस्पताल न बने, सड़क न बनें तो ऐसा नहीं होगा। राज्य सरकार बस्तर का विकास व उन्नति चाहती है। अगर माओवादी भी यही चाहते हैं तो बात की जा सकती है। अगर दोनों का लक्ष्य एक है तो मार्ग भी एक हो सकता है। जिस माओवाद ने दुनिया को कुछ नहीं दिया वह भला आपको क्या देगा? श्री शर्मा ने कहा कि अभी तक जिन समाजसेवी संस्थाओं से बात की गई है, उन सबका एक ही मत है, बस्तर में शांति की बहाली और विकास। विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक एवं चिंतक राजीव रंजन प्रसाद थे। अध्यक्षता प्रदेश के वन मंत्री एवं युवा आदिवासी नेता केदार कश्यप ने की।

भावुक हुए केदार कश्यप
सालों से नक्सलवाद का दंश झेलते आ रहे बस्तर और यहां के रहवासियों का दर्द साझा करते हुए वन एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप बेहद भावुक हो उठे थे, उनकी आंखें सजल हो उठी थीं। मंत्री श्री कश्यप ने खुद को संयत करते हुए कहा- मैं बचपन से बस्तर के आदिवासी भाई बहनों का खून बहते देखता आया हूं। माओवाद ने बस्तर और यहां के आदिवासियों को गहरे जख्म दिए हैं, वो दर्द दिया है, जिससे उबर पाना मुश्किल है। सैकड़ों बच्चे अनाथ हुए हैं, पचासों बहनों का सुहाग उजड़ चुका है, गरीब मां बाप के बुढ़ापे का सहारा छिन गया है। माओवादियों ने बेकसूरों का खून बहाया है। केदार कश्यप ने कहा कि युद्ध और हिंसा से किसी का भला नहीं होता। नुकसान दोनों पक्ष झेलते हैं। हमारी सरकार ने बातचीत के सारे रास्ते खोल रखे हैं, अब माओवादियों को आगे आना होगा। वार्ता से ही शांति संभव है।

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