बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन, मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट, अन्य की कीमतें मजबूत

नईदिल्ली। बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में मुर्गीदाने में इस्तेमाल किये जाने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) का भाव कमजोर होने से सोयाबीन तिलहन तथा ऊंचे भाव पर कारोबार प्रभावित होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। विदेशों में दाम मजबूत होने से सोयाबीन तेल, आवक कमजोर रहने से सरसों तेल-तिलहन, पामोलीन का दाम मजबूत होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल तथा माल की कमी के बीच बिनौला तेल के दाम मजबूत बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि डीओसी के भाव कमजोर होने की वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई। वैसे भी गर्मियों में डीओसी की मांग कम ही रहती है। दूसरी ओर कांडला बंदरगाह पर पिछले सप्ताह जिस सोयाबीन तेल का दाम 1,035-1,040 डॉलर प्रति टन था वह समीक्षाधीन सप्ताह में बढ़कर 1,070-1,075 डॉलर प्रति टन हो गया। तेल कीमतों में आई इस तेजी की वजह से सोयाबीन के सभी तेल के दाम मजबूत बंद हुए।


उन्होंने कहा कि सोयाबीन की ही तरह पामोलीन के दाम में भी समीक्षाधीन सप्ताह में तेजी आई। इससे पहले पामोलीन का दाम 930-935 डॉलर टन था जो समीक्षाधीन सप्ताह में बढ़कर 935-940 डॉलर प्रति टन हो गया। इसकी वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम भी मजबूती दर्शाते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में बिनौला खल के जून अनुबंध का भाव 2,740 रुपये क्विंटल है जबकि बिनौला के बढिय़ा खल का हाजिर भाव 3,450 रुपये क्विंटल है। इस बात का पता लगाया जाना चाहिये कि वायदा कारोबार में जिस खल का इतना कम दाम चलाया जा रहा है क्या वह नकली खल का दाम है? कपास बिजाई के ऐन मौके पर इस तरह खल के दाम तोडऩे का क्या मकसद है? क्या इसका उद्देश्य कपास किसानों को हतोत्साहित करना है? जो लोग इस तरह की काम में लगे हैं, उनका पता कर उनपर लगाम लगाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि तेल मिलों को अप्रैल-मई में सामान्य वर्षों की तरह सरसों की आवक बढऩे और दाम कमजोर पडऩे की उम्मीद थी। इस दौरान बड़ी तेल मिलें और कच्ची घानी की तेल मिलें बड़ी मात्रा में खरीद कर अपना स्टॉक जुटा लेती थीं। लेकिन इस बार उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हुई क्योंकि किसानों की ओर से मंडियों में सरसों की आवक अपेक्षा से कमजोर रही। मिल वालों के पास स्टॉक की कमी है। इस वजह से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का जो ऊंचा भाव है, इस दाम की वजह से यह तेल चलेगा नहीं। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा। ऊंचे दाम पर कारोबार ढीला रहने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में हानि दर्ज हुई।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 60 रुपये के सुधार के साथ 6,060-6,110 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 125 रुपये बढ़कर 11,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 20-20 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,900-2,000 रुपये और 1,900-2,015 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,840-4,860 रुपये प्रति क्विंटल और 4,640-4,760 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसके उलट, सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 125 रुपये, 75 रुपये और 110 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 10,400 रुपये और 10,200 रुपये और 8,860 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में ऊंचे भाव की वजह से कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही। मूंगफली तिलहन का दाम 75 रुपये की गिरावट के साथ 6,125-6,400 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 200 रुपये और 25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,650 रुपये क्विंटल और 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 100 रुपये की तेजी के साथ 8,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये की तेजी के साथ 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 125 रुपये की तेजी के साथ 9,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
माल की कमी के बीच तेजी के आम रुख के अनुरूप बिनौला 75 रुपये की तेजी के साथ 10,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
००

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *